मै इश्क का मुफ़्ती तो नहीं.. मगर ये मेरा फतवा है।।।। जो राह में छोड़ जाए… वो काफ़िर से भी बदतर है।।।।
Category: व्यंग्य शायरी
सरहाने आहिस्ता बोलो
सरहाने आहिस्ता बोलो अभी टुक रोते-रोते सो गया है
कोई ले रहा मजे
कोई ले रहा मजे बरिश मे भीग कर!! कोई रो रहा बरिश से बरबाद होकर” आखिर लिखूं तो क्या लिंखू
जब दर्द होता है
जब दर्द होता है …तुम बहुत याद आते हो जब तुम याद आते हो…बहुत दर्द होता है
हर बार सम्हाल लूँगा
हर बार सम्हाल लूँगा गिरो तुम चाहो जितनी बार, बस इल्तजा एक ही है कि मेरी नज़रों से ना गिरना…!
रिश्तों का सवाल है
जहां तक रिश्तों का सवाल है….. लोगो का आधा वक़्त…. “अन्जान लोगों को इम्प्रेस करने और अपनों को इग्नोर करने में चला जाता हैं…!!
इक निगह कर के
इक निगह कर के उसने मोल लिया बिक गए आह, हम भी क्या सस्ते
जो दिल के दर्द
जो दिल के दर्द को भुलाने को दारु पीता है, वो चखना नहीं खाता चखना तो कमीने दीलासा देने वाले साफ कर जाते है|
दहर में उनके
या न था दहर में उनके सिवा जालिम कोइ, या सिवा मेरे कोई और गुनहगार न था।
दिल ए तबाह
दिल ए तबाह को ज़ख़्मों की कुछ कमी तो नहीं मगर है दिल की ये तमन्ना तुम एक वार और करो