मैं ढूढ़ रहा था शराब के अंदर, नशा निकला नकाब के अंदर .!!
Category: लव शायरी
तुमको देखा तो मौहब्बत भी
तुमको देखा तो मौहब्बत भी समझ आई वरना इस शब्द की तारीफ ही सुना करते थे…!!
सब्र तहजीब है
सब्र तहजीब है मोहब्बत की साहब, और तुम समझते हो की बेजुबान है हम!!
कुछ और भी हैं
कुछ और भी हैं काम हमें ऐ ग़म-ए-जानाँ, कब तक कोई उलझी हुई ज़ुल्फ़ों को सँवारे
उसी का शहर वही
उसी का शहर वही मुद्दई वही मुंसिफ़ हमें यक़ीं था हमारा क़ुसूर निकलेगा
रोज़ आते है
रोज़ आते है बादल अब्र ए रहेमत लेकर मेरे शहर के आमाल उन्हे बरसने नही देते|
मेरा दिल चाँद जेसा
मेरा दिल चाँद जेसा कैसे हो जिन्दगी ने रहो में कई आफताब खड़े किये
चल आ तेरे पैरो पर
चल आ तेरे पैरो पर मरहम लगा दूं ऐ मुक़द्दर. कुछ चोटे तुझे भी तो आई ही होगी, मेरे सपनो को ठोकर मारते मारते !
न जाने किसने
न जाने किसने, पढ़ी है मेरे हक़ में दुआ… आज तबियत में जरा आराम सा है…
तुझे रात भर
तुझे रात भर ऐसे याद करता हूँ मैं जैसे सुबह इम्तेहान हो मेरा ।