हाथ जख्मी हुए तो कुछ हमारी भी गलतियाँ थी,,, लकीरों को मिटाने चले थे किसी एक को पाने के लिए…
Category: जिंदगी शायरी
मै सपने नही
मै सपने नही देखता . . . क्योकी अक्सर मै जो हकीकत मे करता हु . . . वो लोगो के सपने हुआ करते है . . .
मोहब्बत की राह
रहता है मशग़ला जहाँ बस वाह-वाह का मैं भी हूँ इक फ़कीर उसी ख़ानक़ाह का मुझसे मिल बग़ैर कहाँ जाइयेगा आप इक संगे-मील हूँ मैं मोहब्बत की राह का
जो भी आता है
जो भी आता है एक नई चोट देकर चला जाता है, माना मैं मजबूत हूँ लेकिन…… पत्थर तो नहीं.!
मेरी दहलीज़ पर
मेरी दहलीज़ पर आ कर रुकी है हवा_ऐ_मोहब्बत, मेहमान नवाज़ी का शौक भी है उजड़ जाने का खौफ भी…!!!
गुजर रहा था
गुजर रहा था तेरी गली से सोचा उन खिड़कियों को सलाम कर लूँ… जो कभी मुझे देख कर खुला करती थी..
मेरी ज़िन्दगी की
टिकटें लेकर बैठें हैं मेरी ज़िन्दगी की कुछ लोग……. साहेबान……. तमाशा भी भरपूर होना चाहिए…… निमा की कलम से………..
बुरी सोचों के
बुरी सोचों के कारोबार में इतनी कमी तो है कमाई होती है, बरक़त नहीं होती कमाई में .
जिंदगी तेरी आँच
ख्वाब शीशे के थे पिघल गये, जिंदगी तेरी आँच ज्यादा थी……
आधे से कुछ
आधे से कुछ ज्यादा है, पूरे से कुछ कम… कुछ जिंदगी… कुछ गम, कुछ इश्क… कुछ हम…