राह भूल जाता हूँ

एक जंगल है तेरी आँखों में मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ

इंसान इतना डरपोक है

कमाल है ना, इंसान इतना डरपोक है की सपनो में भी डर जाता है..और इतना निडर है की जब जागता है तो भगवान् से भी नहीं डरता है !!

रिश्तों का बोलबाला

कोई है बेटा, कोई भाई, कोई साला है सियासी खेल में रिश्तों का बोलबाला है

ज़रुरत से भी

कहीं है इतना अँधेरा कि कुछ नहीं दिखता कहीं ज़ियादा ज़रुरत से भी उजाला है

मोहब्बत का बोल बाला

वो दर जहां कि मोहब्बत का बोल-बाला है मिरी नज़र में वो मस्जिद है, वो शिवाला है

तुम ही हो..

सांसे बस दिखाने के लिये लेता हूं वरना जिंदगी तो मेरी तुम ही हो..

लाजवाब करते हो

कभी तो अपने लहज़े से तुम भी साबित कर दो, कि मोहब्बत तुम भी हमसे लाजवाब करते हो!

मैं चलता रहा

मुझे मालूम था कि वो रास्ते कभी मेरी मंजिल तक नहीं जाते थे, फिर भी मैं चलता रहा, क्यूँ कि उस राह में कुछ अपनों के घर भी आते थे…

तेरी याद से

तेरी याद से होती है मेरे दिन की शुरूआत … फिर कैसे मैं कह दूँ कि मेरा दिन खराब है…॥

नफरत हो जाएगी

नफरत हो जाएगी तुझे तेरे ही किरदार से, गर तुझसे मैं तेरे ही अंदाज में बात करूँ…॥

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