कुछ ख़फ़ा है

आज दिल, कुछ ख़फ़ा है.. छोड़ो, कौन सा ये पहली दफ़ा है !!

इलाज ए इश्क

इलाज ए इश्क पुछा जो मैने हकीम से धीरे से सर्द लहजे मे वो बोला जहर पिया करो सुबह दोपहर शाम!!!

क़ुदरत के नज़ारें हैं

कभी पतझड़ कभी सावन ये तो क़ुदरत के नज़ारें हैं … प्यासे वो भी रह जाते है जो दरिया के किनारे हैं …

फ़िर भी रह जाते है

निशान फ़िर भी रह जाते है बाक़ी.. टूट के जुड़ जाना इतना आसान नहीं होता..

हाथ फिरा देता हूँ

हाथ फिरा देता हूँ… मैं काँटो में भी… फूल समझ के… जब जहन में ख्याल… तुम्हारा चल रहा होता है…

कैसे गुज़र रही है

कैसे गुज़र रही है सभी पूछते हैं कैसे गुज़ारता हूँ कोई पूछता नहीं

किताबें रख दीं

किताबें रख दीं जो मैंने साइड में। कसूर है तुम्हारी ये तस्वीर का।

नींद तो आने को थी

नींद तो आने को थी पर दिल पुराने किस्से ले बैठा अब खुद को बे-वक़्त सुलाने में कुछ वक़्त लगेगा

मेरी किस्मत में

मेरी किस्मत में तो कुछ यूँ लिखा है, किसी ने वक्त गुज़ारने के लिए अपना बनाया, तो किसी ने अपना बनाकर वक्त गुजार लिया !!

सुकून ऐ दिल के

सुकून ऐ दिल के लिए कभी हाल तो पूँछ ही लिया करो, मालूम तो हमें भी है कि हम आपके कुछ नहीं लगते…!

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