कभी पतझड़ कभी सावन ये तो क़ुदरत के नज़ारें हैं …
प्यासे वो भी रह जाते है जो दरिया के किनारे हैं …
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कभी पतझड़ कभी सावन ये तो क़ुदरत के नज़ारें हैं …
प्यासे वो भी रह जाते है जो दरिया के किनारे हैं …