वो फिर से लौट आये थे मेरी जिंदगी में’ अपने मतलब के लिये और हम सोचते रहे की हमारी दुआ में दम था.. .
Category: शर्म शायरी
जिंदगी के पन्नों को
बारिश में रख दो इस जिंदगी के पन्नों को, ताकि धुल जाए स्याही, ज़िन्दगी फिर से लिखने का मन करता है कभी-कभी।
माना की तेरी
माना की तेरी नजर मे मै कुछ भी नही, मगर मेरी कदर तू उनसे पूछ जिन्हे पलटकर नही देखा मैने सिर्फ तेरे लिए…!!!
शहर से इतने
एक ही शहर से इतने जनाज़े., हसीनाओ पे कोई पाबंदी लगाओ
Saare Maikhane Ki
Hamari Kahani Sun Saki Ki Bhi Aankhon Main Aansoo Aa Jate Hain, Saare Maikhane Ki Sharab Peekar Bhi Hum Nashe Main Nahi Aate Hain, Kya Karein Saki Ab To Itni Jyada Peene Lage Hain, Kay Hum Maikhane Main Bhi Darwaje Se Lauta Diye Jate Hain…
परवाह मत कीजिये
रास्ता ‘खूबसूरत’ है तो पता कीजिये.. किस ‘मंज़िल’ की तरफ जाता है! लेकिन, अगर ‘मंज़िल’ खूबसूरत हो तो कभी रास्ते की ‘परवाह’ मत कीजिये |
ख़ामोशी फितरत हमारी
समंदर सारे शराब होते तो सोचो कितने फसाद होते, हकीक़त हो जाते ख्वाब सारे तो सोचो कितने फसाद होते.. किसी के दिल में क्या छुपा है बस ये खुदा ही जानता है, दिल अगर बेनक़ाब होते तो सोचो कितने फसाद होते.. थी ख़ामोशी फितरत हमारी तभी तो बरसों निभा गई, अगर हमारे मुंह में भी… Continue reading ख़ामोशी फितरत हमारी
मेरी मुस्कान पर
लोग जलते रहे मेरी मुस्कान पर; मैंने दर्द की अपने नुमाईश न की; जब जहाँ जो मिला, अपना लिया – जो न मिला, उसकी ख्वाहिश न की…!!!
जिंदगी देकर भी
खरीद सकते उन्हें तो अपनी जिंदगी देकर भी खरीद लेते , पर कुछ लोग “कीमत” से नही “किस्मत” से मिला करते हैं…
चढ़ने दो अभी
चढ़ने दो अभी और ज़रा वक़्त का सूरज हो जायेंगे छोटे जो अभी साये बड़े हैं ।