कमी तेरे नसीबों में रही होगी, कि जिँदगी नहीं लिखी तेरे संग बिताने को.. . . . मैने तो हर संभव कोशिश की, तुझे अपना बनाने को..!!
Category: शर्म शायरी
एक रोज इश्क़ हुआ..
नजर, नमाज, नजरिया.. सब कुछ बदल गया… एक रोज इश्क़ हुआ… और मेरा खुदा बदल गया..!!
सोचा ना था
सोचा ना था ज़िंदगी ऐसे फिर से मिलेगी जीने के लिये, आँख को प्यास लगेगी अपने ही आँसू पीने के लिये…!!!
तुम ये ग़लत
तुम ये ग़लत कहते हो कि मेरा कुछ पता नहीं है तुमने ढूँढा ही नहीं मुझे ढूँढ ने की हद तक
यही बस सोचकर
यही बस सोचकर के हम सफाई दे नहीं पाए…. भले इल्जाम झूठा है, मगर तुमने लगाया है
करवटें बदलता रहा
करवटें बदलता रहा बिस्तर में यू ही रात भर, पलकों से लिखता रहा तेरा नाम चाँद पर ॥
सुकून मिलता है
सुकून मिलता है दो लफ्ज कागज पर उतार कर। चीख भी लेता हूँ और आवाज भी नही आती।
जिसे अपना चाँद
मैं जिसे अपना चाँद समझता था… उसने मोहल्ले के आधे से ज्यादा लड़के अंतरिक्ष यात्री बना रखे थे।
मेरी खुददारी तोले
मेरा मोल लगाने बैठे है कुछ लोग तिजोरी खोले़ दुनिया मे इतना धन कहा जो मेरी खुददारी तोले!!!!!!!!
मुसीबतों से उभरती है
मुसीबतों से उभरती है शख्सियत यारो… जो चट्टानों से न उलझे वो झरना किस काम का…