पास बैठे इंसान के लिए वक्त नहीं है…!!! दूर वाले.. आजकल नजदीक बहुत हैं…
Category: वक़्त शायरी
हमको क़तरा कहकर
हमको क़तरा कहकर हँसना ठीक नहीं यार समंदर हम भी पानी वाले हैं
हम नही मानते
हम नही मानते कागज़ पे लिखे सज्र-ओ-नसब, गुफ़्तगू बता देती है कौन खानदानी है..
किस की आँखों का
किस की आँखों का लिए दिल पे असर जाते हैं मय-कदे हाथ बढ़ाते हैं जिधर जाते हैं …
तुम्हारी प्यारी सी नज़र
तुम्हारी प्यारी सी नज़र अगर इधर नहीं होती, नशे में चूर फ़िज़ा इस कदर नहीं होती, तुम्हारे आने तलक हम को होश रहता है, फिर उसके बाद हमें कुछ ख़बर नहीं होती..
साजन की आँखो मे
साजन की आँखो मे छुप कर जब झाँका,बिन होली खेले ही सजनी भीग गयी
तारीफ़ करने वाले
तारीफ़ करने वाले बेशक आपको पहचानते होंगे, मगर फ़िक्र करने वालो को आपको ही पहचानना होगा
जब मोहब्बत बेहिसाब की तो
जब मोहब्बत बेहिसाब की तो जख्मों का हिसाब क्या करना? अक्ल कहती है मारा जाएगा, दिल कहता है देखा जाएगा।
सोचा था घर बना कर
सोचा था घर बना कर बैठुंगा सुकून से.. पर घर की ज़रूरतों ने मुसाफ़िर बना डाला
बगैर आवाज़ के..
कितना भी सम्भाल के रख लो दिल को फिर भी, टूट ही जाता है और वो भी बगैर आवाज़ के..