ज़िन्दगी में तन्हा हुँ तो क्या हुआ, जनाजे में सारा शहर होगा देख लेना…
Category: वक़्त शायरी
अभी रूप का
अभी रूप का एक सागर हो तुम.. कमल जितने चाहोगी खिल जायेंगे|
एक बार देख था
एक बार देख था उसने मेरी तरफ मुस्कुराते हुए बस! इतनी सी हक़ीकत है,बाकी सब कहानियाँ है..!!
इन सूखे हुए लबों पर
इन सूखे हुए लबों पर कई अनकही बारिशें हैं.. तुम छू लेना इन्हें और बादलों में रिहा कर देना..
हम ज़माने से
हम ज़माने से इंतक़ाम तो ले इक हँसी दरमियान है प्यारे
लफ़्ज़ों की शर्मिंदगी
लफ़्ज़ों की शर्मिंदगी देखने वाली थी !! खत में मुझे उसने बोसे भेजे थे !!
खुदा जाने यह किसका
खुदा जाने यह किसका जलवा है दुनियां ए बस्ती में हजारों चल बसे लेकिन, वही रौनक है महफिल की।
काश एक ख़्वाहिश
काश एक ख़्वाहिश पूरी हो इबादत के बगैर, तुम आ कर गले लगा लो मुझे, मेरी इज़ाज़त के बगैर….!!
हाँ ठीक है
हाँ ठीक है मैं अपनी अना का मरीज़ हूँ आख़िर मेरे मिज़ाज में क्यूँ दख़्ल दे कोई
ये तो रस्ते मुझे ले
ये तो रस्ते मुझे ले आए तेरी जानिब ये मुलाक़ात,मुलाकत न समझी न जाये|