कांच था मैं

कांच था मैं किस तरह हीरे से करता दोस्ती.. क्या पता कब काट देगा प्यार से छू कर मुझे…

मैं अक्सर गुज़रता हूँ

मैं अक्सर गुज़रता हूँ उन तंग गलियों से, जिसके मुहाने पर एक सांवली लड़की जीवन के आख़िरी पलों में मेरा नाम पुकारती थी। मैं अक्सर होकर भी नहीं होता हूँ मैं अक्सर जीकर भी नहीं जीता,, मैं उसे अब कभी याद नही करता|

लोग पढ़ लेते है

लोग पढ़ लेते है आँखों से मेरे दिल की बात…!! अब मुझसे तेरी मोहब्बत की हिफाजत नहीं होती……!!

उनकी रहबरी के

उनकी रहबरी के काबिल नहीं हूँ मैं वरना यूं साथ क्यूँ छोड़ जाते वो…..

तुम्हे क्या पता

तुम्हे क्या पता कि जब मैं प्रेम में होता हूँ तो खुद से बहुत दूर होता हूँ।

चेहरे के रंग

चेहरे के रंग को देखकर दोस्त ना बनाना.. दोस्तों .. तन का काला तो चलेगा लेकिन मन का काला नहीं।

अब लोग पूछते हैं

अब लोग पूछते हैं हमसे.. तुम कुछ बदल गए हो बताओ टूटे हुए पत्ते अब .. रंग भी न बदलें क्या..!!

उनका ईश्क चाँद जैसा था …

उनका ईश्क चाँद जैसा था … पुरा हुआ…तो घटने लगा…!!

तुम्हारे बाद बस

तुम्हारे बाद बस इतना हुआ है, अब खिड़की से बारिश देखता हूँ मैं|

चर्चाएं खास हो

चर्चाएं खास हो तो किस्से भी ज़रूर होते है…. उंगलियां भी उन्ही पर उठती है जो मशहूर होते है…

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