कब आ रहे हो

कब आ रहे हो मुलाकात के लिये. हमने चाँद रोका है एक रात के लिय|

अपनी बाँहों में

अपनी बाँहों में ले के सोता हूँ, मैंने तकिये का नाम ‘तुम’ रखा है..

हमें मालूम है

हमें मालूम है हम से सुनो महशर में क्या होगासब उस को देखते होंगे वो हम को देखता होगा।।

लाख कसमें ले लो

लाख कसमें ले लो किसीसे, छोड़ने वाले छोड़ ही जाते है !!

मेरी फ़ितरत कि

मेरी फ़ितरत कि मैं खिल जाता हूँ बे-मौसम भी मेरी आदत कि मैं मजबूर नहीं हो सकता !

आइये बारिशों का

आइये बारिशों का मौसम है, इन दिनों चाहतों का मौसम है…..

सबकी अपनी अपनी परेशानियाँ है

सबकी अपनी अपनी परेशानियाँ है जनाब, वरना,मेरी तरह शायरियों में कौन अपना वक़्त बर्बाद करता है..!!

तू बिल्कुल चिलम सी

तू बिल्कुल चिलम सी कड़क और मैं बिल्कुल धुँआ धुँआ सा…

शिकायतें बचा कर

शिकायतें बचा कर रखिये,मोहब्बत अभी बाकी है।

जब से उसने बारिश में

जब से उसने बारिश में भीगना छोड़ दिया, बादलों ने मेरे शहर में बरसना छोड़ दिया।

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