लकीर बन कर रह गया नसीब हाथों में छूट गया उनसे मेरा साथ बातों बातों में!
Category: बेवफा शायरी
आंखें अपनी साफ़ तो रखिये
आंखें अपनी साफ़ तो रखिये ज़रा.. उन में खुद को देखता है आइना.!
रोज़ सहतीं हैं
रोज़ सहतीं हैं जो कोठों पे हवस के नश्तर हम “दरिन्दे” न होते, तो वोह माँए होतीं .. ..
खुब चर्चे हैं
खुब चर्चे हैं खामोशी के मेरी होंठ पर ही जवाब रख लूं क्या|
कंदा दे रहे थे
कंदा दे रहे थे अचानक से हट गए…!! शायद किसी ने कह दिया गुनहगार की लाश है…!
मैं कुछ दिन से
मैं कुछ दिन से अचानक फिर अकेला पड़ गया हूँ नए मौसम में इक वहशत पुरानी काटती है|
बेवजह दीवार पर
बेवजह दीवार पर इल्जाम है बंटवारे का, कई लोग एक कमरे में भी अलग रहते हैं..!!
लापता सा महसूस करता हूँ…
यूँ तो एक ठिकाना मेरा भी हैं… मगर तुम्हारे बिना मैं लापता सा महसूस करता हूँ…
जब मेरी नब्ज देखी
जब मेरी नब्ज देखी हकीम ने तो ये कहा, कोई जिन्दा है इस मे.. मगर ये मर चुका है…!
याद करा दी गई थीं
दुआएँ याद करा दी गई थीं बचपन में, सो ज़ख़्म खाते रहे और दुआ दिए गए हम।