हार जाउँगा मुकदमा

हार जाउँगा मुकदमा उस अदालत में, ये मुझे यकीन था.. जहाँ वक्त बन बैठा जज और नसीब मेरा वकील था…

तुम मेरे हो

फ़क्र ये के तुम मेरे हो, फ़िक्र ये पता नही कब तक…

किसी के ज़ख्म का

किसी के ज़ख्म का मरहम, किसी के ग़म का ईलाज ।। लोगो ने बाँट रखा है मुझे.. दवा की तरह।।

बहाने मौत के

बहाने मौत के तो तमाम नज़र आते हैं, जीने की वजह तेरे सिवा, कुछ नही……

सोचता हूँ धोखे से

सोचता हूँ धोखे से ज़हर दे दूँ.. सभी ख्वाहिशों को दावत पे बुला कर..

लिख के उसे

लिख के उसे मिटाने की बुरी आदत है कि, इसी वजह से मैं उसके तकदीर में आते-आते रह गया।

मेरे अकेलेपन का

मेरे अकेलेपन का मजाक बनाने वालों जरा ये तो बताओ, जिस भीड़ में तुम खडे हो,उसमें कौन तुम्हारा है…

हम ने अक्सर

हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में, रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया….

नुमाइश करने से

नुमाइश करने से मोहब्बत बढ़ नही जाती… मोहब्बत वो भी करते है जो इज़हार तक नही करते…

सोच लो कल कहीं

सोच लो कल कहीं आँसू न बहाने पड़ जाएँ ख़ून का क्या है रगों में वो यूँही खौलता है..

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