कम्बखत ये तेरी याद

रिश्वत भी नहीं लेती जान छोड़ने की….. कम्बखत ये तेरी याद बहोत ईमानदार लगती है……

दुनिया कितनी ही

दुनिया कितनी ही आगे बढ़ जाए मगर वो छुप छुप के मिलने वाली मोहब्बत का मजा ही कुछ और था..!!

जिंदगी की दौड़ में

जिंदगी की दौड़ में, तजुर्बा कच्चा रह गया. हम ना सीख पाये फरेब, दिल बच्चा ही रह गया…!!

ज़र ही हादसे का

ज़र ही हादसे का अजीबो गरीब था, वो आग से जल गया जो नदी के करीब था..

इक लफ्ज़ थी

इक लफ्ज़ थी मैं आधा अधूरा सा… तुझ से जुडा और कहानी बन गई…

ना जाने कितनी ही

ना जाने कितनी ही अनकही बातें साथ ले जाऊंगा, लोग झूठ कहते रहेंगे कि खाली हाथ गया है !!

तेरी यादों का सिलसिला

तेरी यादों का सिलसिला भी अनोखा है….. कभी एक पल…. कभी पल पल …..कभी हर पल …..

मेरा नसीब है

तेरा हिज्र (जुदाई ) मेरा नसीब है, तेरा गम ही मेरी हयात (किस्मत) है, मुझे तेरी दूरी का गम हो क्यों, तू कही भी हो मेरे साथ है…

निशान का क्या करोगी

अंगूठी तो मुझे लौटा रही हो पर ऊंगली के निशान का क्या करोगी….

खामोश हूँ सिर्फ़

खामोश हूँ सिर्फ़ तुम्हारी खुशी के लिये ये न सोंचना कि मेरा दिल दुखता नहीं…

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