जो तू कर ले वादा मेरी ख़ामोशी को पढ़ने का, खिलौने की तरह बेआवाज़ होने को तैयार हूँ मैं..
Category: दर्द शायरी
सुनकर ज़माने की बाते
सुनकर ज़माने की बाते, तू अपनी अदा मत बदल… यकीन रख अपने खुदा पर,यु बार बार खुदा मत बदल…!!
शर्त लगी थी दुनिया की ख़ुशी
शर्त लगी थी दुनिया की ख़ुशी को एक लफ़्ज़ मे लिखने की…. वो किताबे ढुँढते रह गये मैंने “बेटी” लिख दिया……!!!
हमसे क्या पूछते हो
हमसे क्या पूछते हो हमको किधर जाना है हम तो ख़ुशबू हैं बहरहाल बिखर जाना है
अजनबी ख्वाहिशें सीने में दबा भी
अजनबी ख्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ ऐसे जिद्दी हैं परिंदे के उड़ा भी न सकूँ
मैं भी कभी हँसता खेलता था
मैं भी कभी हँसता खेलता था, कल एक पुरानी तस्वीर में देखा था खुद को……..
अब कोई शनासा भी दिखाई नहीं
अब कोई शनासा भी दिखाई नहीं देता बरसों मैं इसी शहर का महबूब रहा हूँ
गीली लकड़ी सा इश्क
गीली लकड़ी सा इश्क उन्होंने सुलगाया है…. ना पूरा जल पाया कभी, ना बुझ पाया है….
सबका दिल पिघल सकता है
सबका दिल पिघल सकता है, सिवाय वक्त और तक़दीर के…………
फल तो सब मेरे दरख्तों के पके हैं
फल तो सब मेरे दरख्तों के पके हैं लेकिन इतनी कमजोर हैं शाखें कि हिला भी न सकूँ