मेरे लफ़्ज़ों से न कर मेरे क़िरदार का फ़ैसला; तेरा वज़ूद मिट जायेगा मेरी हकीक़त ढूंढ़ते ढूंढ़ते।
Category: दर्द शायरी
हवा के साथ उड़ गया घर इस परिंदे का
हवा के साथ उड़ गया घर इस परिंदे का, कैसे बना था घोसला वो तूफान क्या जाने !
गलतफहमियोँ की हद तब हुई….
गलतफहमियोँ की हद तब हुई….जब हमने उनसे कहा. ‘रुको…, मत जाओ’…, और उन्होंने सुना…‘रुको मत…जाओ’…!!
जो चहरे दिखते नहीँ थे
जो चहरे दिखते नहीँ थे मोहल्ले मै.. . . भूकम्प ने सबका दीदार करा दिया ..
जो चेहरे कभी दिखते नही थे मोहल्लों मे।
जो चेहरे कभी दिखते नही थे मोहल्लों मे। भूकंप ने सबका दीदार करा दिया। न नमाज़ दिखी न अज़ान दिखी | न भजन दिखा न कीर्तन दिखा | न हिन्दू दिखा न मुसलमान दिखा…| घर से भागता हुआ बस इंसान दिखा…||
उड़ा दो रंजिशे….
उड़ा दो रंजिशे….इन हवाओं में यारों…. मौसम नही कहता…. कोई किसी से नफरत करे….
लोग कहते है कि वाह क्या
लोग कहते है कि वाह क्या शबनम छाई है.. उन्हें क्या मालूम कि चाँद ने रो कर रात बितायी है..
कुछ इस तरह रिश्ते निभाते हैं फरेबी लोग
कुछ इस तरह रिश्ते निभाते हैं फरेबी लोग.. अब आपको अपना कहेंगे आप ही के सामने..!
मैं ज़हर तो पी लूँ शौक से
मैं ज़हर तो पी लूँ शौक से तेरी खातिर …. पर शर्त ये है कि तू सामने बैठ कर साँसों को टूटता देखे !
रहने दे मुझे इन अंधेरों में ग़ालिब
रहने दे मुझे इन अंधेरों में ग़ालिब, कमबख़्त रौशनी में अपनो के असली चहरे नज़र आ जाते है !!