कोड़ी कोड़ी में बीके लोग… गुटनो पे टिके लोग… साला बरगद को चुनोती देते है … ये गमलो में उगे लोग !!
Category: गुस्ताखियां शायरी
तू मोहोब्बत है
तू मोहोब्बत है मेरी इसलिए दूर है मुझसे… अगर मेरी जिद्द होती तो देर शाम तक मेरी बाहो में होती ..!!
आदत मेरी अंधेरो से
आदत मेरी अंधेरो से डरने की डाल कर… एक शक्श मेरी जिंदगी को रात कर गया ..!!
एक सिलसिले की उम्मीद
एक सिलसिले की उम्मीद थी जिनसे; वही फ़ासले बनाते गये! हम तो पास आने की कोशिश में थे; ना जाने क्यूँ वो हमसे दूरियाँ बढ़ाते गये!
फासले इस कदर भी
फासले इस कदर भी न रखो रिश्तों में , जैसे कोई घर खरीदा हो किश्तों में…..
गुलामी ख्वाहिशो की है
गुलामी ख्वाहिशो की है और मज़बूरी जरूरतों की.. वर्ना खुश मिजाज़ होना भला किसे खलता है..
ठंडी कर देती है
उसकी यादें अक्सर मेरी चाय ठंडी कर देती है !
कुछ लोग कह रहे हैं
कुछ लोग कह रहे हैं मैं मग़रूर हो गया सच तो है मैं ज़माने में मशहूर हो गया|
तू आसमाँ से
तू आसमाँ से कोई बादलों की छत ले आ बरहना शाख़ पे क्या आशियाँ बनाता है|
तुम से कौन कहेगा
तुम से कौन कहेगा आकर ? कितनी रात ढलीं बिन चँदा , कितने दिन बिन सूरज बीते , कैसे तड़प-तड़प कर बिखरे , भरी आखँ में सपने रीते , कौन पिये और कैसे खाए , मन को जब जोगी भा जाए , तुम को कौन सिखाये भा कर ? तुम से कौन कहेगा आकर….? उन… Continue reading तुम से कौन कहेगा