जीभ में हड्डिया नहीं

जीभ में हड्डिया नहीं होती फिर भी जीभ हड्डियां तुड़वाने की “ताक़त” रखती हैं..!!

किसी को कुछ देने की इच्छा

किसी को कुछ देने की इच्छा हो तो आत्म-विश्वास जगाने वाला प्रोत्साहन सर्वोत्तम उपहार के रूप में दे|

कभी इनका हुआ हूँ मैं..

कभी इनका हुआ हूँ मैं… कभी उनका हुआ हूँ मैं… खुद के लिए कोशिश नहीं की… मगर सबका हुआ हूँ मैं… मेरी हस्ती बहुत छोटी… मेरा रुतबा नहीं कुछ भी… लेकिन डूबते के लिए… सदा तिनका हुआ हूँ मै…

नीचे गिरे सूखे पत्तों पर अदब से

“नीचे गिरे सूखे पत्तों पर अदब से ही चलना ज़रा कभी कड़ी धूप में तुमने इनसे ही पनाह माँगी थी।”

मैं थक गया था …

मैं थक गया था … परवाह करते करते, जब से ला-परवाह हुआ हूँ आराम सा है..!!!

अपनी सूरत से जो जाहिर है

अपनी सूरत से जो जाहिर है छुपाये कैसे तेरी मर्जी के मुताबिक नज़र आये कैसे

शक तो था मोहब्बत में

शक तो था मोहब्बत में नुक़सान होगा ।। .. पर सारा हमारा ही होगा ये मालूम न था!!

बहुत कुछ खो चूका हूँ

बहुत कुछ खो चूका हूँ, ऐ ज़िन्दगी तुझे सवारने की कोशीश में, अब बस ये जो कुछ लोग मेरे हैं, इन्हें मेरा ही रहने दे….

जिम्मेदारियां मजबूर कर देती हैं

जिम्मेदारियां मजबूर कर देती हैं अपना शहर छोड़ने को, वरना कौन अपनी गली मे जीना नहीं चाहता….. हसरतें आज भी खत लिखती हैं मुझे, पर मैं अब पुराने पते पर नहीं रहता ।।

उंगलिया आज भी इस सोच में गुम है

उंगलिया आज भी इस सोच में गुम है , उसने कैसे नए हाथ को थामा होगा.

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