ख़ामियों को गिन रहा हूँ ख़ुद से रूबरू होकर …..
जो आईने से ज़्यादा अपनों ने बयाँ की हैं
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ख़ामियों को गिन रहा हूँ ख़ुद से रूबरू होकर …..
जो आईने से ज़्यादा अपनों ने बयाँ की हैं