लाखों ठोकरों के बाद भी संभलता रहूँगा मैं..
गिरकर फिर उठूँगा, और चलता रहूँगा मैं…
गृह-नक्षत्र जो भी चाहें लिखें कुंडली में मेरी..
मेहनत से अपना नसीब बदलता रहूँगा मैं…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
लाखों ठोकरों के बाद भी संभलता रहूँगा मैं..
गिरकर फिर उठूँगा, और चलता रहूँगा मैं…
गृह-नक्षत्र जो भी चाहें लिखें कुंडली में मेरी..
मेहनत से अपना नसीब बदलता रहूँगा मैं…