किसकी पनाह में तुझको गुज़ारे ऐ जिंदगी,
अब तो रास्तों ने भी कह दिया है, कि घर क्यों नहीं जाते !
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
किसकी पनाह में तुझको गुज़ारे ऐ जिंदगी,
अब तो रास्तों ने भी कह दिया है, कि घर क्यों नहीं जाते !