तनहा तनहा रो लेंगे, महफ़िल महफ़िल जाएंगे
जब तक आंसू साथ रहेंगे तब तक गीत सुनाएंगे
तुम जो सोचो वह तुम जानो हम तो अपनी कहते हैं
देर न करना घर जाने में वरना घर खो जाएंगे
बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो
चार किताबें पढ़ कर वह भी हम जैसे हो जाएंगे
किन राहों से दूर है मंज़िल, कौन सा रास्ता आसाँ है
हम जब थक कर रुक जाएंगे, औरों को समझाएंगे
अच्छी सूरत वाले सारे पत्थर दिल हों, मुमकिन है
हम तो उस दिन राय देंगे जिस दिन धोखा खाएंगे|