खूल सकती है, गाँठे बस जरा सी जतन से,
पर लोग कैचियाँ चला कर, सारा फ़साना बदल देते है ।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
खूल सकती है, गाँठे बस जरा सी जतन से,
पर लोग कैचियाँ चला कर, सारा फ़साना बदल देते है ।