क्यूँ न
कुछ इस तरह ये ज़िंदगी हो जाए
मैं हर्फ़ हो जाऊँ
और तू लफ्ज़ बनकर मुझमें उतर जाए !
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
क्यूँ न
कुछ इस तरह ये ज़िंदगी हो जाए
मैं हर्फ़ हो जाऊँ
और तू लफ्ज़ बनकर मुझमें उतर जाए !