जिन्दगी की दौड़ में, तजुर्बा कच्चा ही रह गया,
हम सिख न पाये ‘फरेब’ और दिल बच्चा ही रह गया !
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जिन्दगी की दौड़ में, तजुर्बा कच्चा ही रह गया,
हम सिख न पाये ‘फरेब’ और दिल बच्चा ही रह गया !