by pyarishayri - July 11, 2017आप हमें समझते है ……हम वो नहीं जो आप हमें समझते है …… हम वो है जो आप समझ ही नहीं पाते है …….
by pyarishayri - July 11, 2017दिलों में रहता हूँदिलों में रहता हूँ धड़कने थमा देता हूँ मैं इश्क़ हूँ, वजूद की धज्जियां उड़ा देता हूँ
by pyarishayri - July 11, 2017मंजिल मिल ही जायेगीमंजिल मिल ही जायेगी, भटकते हुए ही सही.. गुमराह तो वो हैं, जो घर से निकले ही नहीं।
by pyarishayri - July 8, 2017न जाने किसकान जाने किसका मुक़द्दर संवरने वाला है वो किताब में एक चिट्ठी छुपा के निकली है|
by pyarishayri - July 8, 2017मैं चरागों की भलामैं चरागों की भला कैसे हिफाज़त करता , वक़्त सूरज को भी हर रोज़ बुझा देता है..
by pyarishayri - July 8, 2017तेरी खूबसूरती जैसे ….तेरी खूबसूरती जैसे …. बारिश के बाद पत्तों पर ठहरा हुआ पानी …..
by pyarishayri - July 8, 2017अजब तमाशे हैअजब तमाशे है दुनिया में यारों, कोड़ीयो में इज्जत और करोड़ो में कपड़े बिकते है !!
by pyarishayri - July 7, 2017तुम्हारी बेरूखी नेतुम्हारी बेरूखी ने लाज रख ली बादाखाने की……! तुम आंखों से पिला देते तो पैमाने कहाँ जाते…..
by pyarishayri - July 7, 2017पत्तें से गिरती बून्दपत्तें से गिरती बून्द हो या गीले बालों से… मौसम का असर तो दोनों पर ही जवां हैं..
by pyarishayri - July 5, 2017आँख का आंसूआँख का आंसू ना हमसे बच सका , … घर के सामान की हिफाजत क्या करें….