by pyarishayri - July 12, 2017लोग कहते हैलोग कहते है दुआ क़ुबूल होने का भी वक़्त होता है, हैरान हूँ मैं किस वक़्त मैंने तुझे नही
by pyarishayri - July 12, 2017दर्द कहां मोहताज़ होता हैदर्द कहां मोहताज़ होता है शब्दों का. बस दो आंसू ही काफ़ी है, बयां करने को…..!!
by pyarishayri - July 12, 2017मुहब्बत सा कोईमुहब्बत सा कोई अहसास दस्तक हम पे देता हैकिवाड़ों से हमीं बंद हैं, हमीं आलस के मारे हैं….
by pyarishayri - July 12, 2017ज़िन्दगी में तन्हा हुँज़िन्दगी में तन्हा हुँ तो क्या हुआ, जनाजे में सारा शहर होगा देख लेना…
by pyarishayri - July 12, 2017इन सूखे हुए लबों परइन सूखे हुए लबों पर कई अनकही बारिशें हैं.. तुम छू लेना इन्हें और बादलों में रिहा कर देना..
by pyarishayri - July 12, 2017लफ़्ज़ों की शर्मिंदगीलफ़्ज़ों की शर्मिंदगी देखने वाली थी !!खत में मुझे उसने बोसे भेजे थे !!
by pyarishayri - July 12, 2017खुदा जाने यह किसकाखुदा जाने यह किसकाजलवा है दुनियां ए बस्ती मेंहजारों चल बसे लेकिन,वही रौनक है महफिल की।
by pyarishayri - July 12, 2017काश एक ख़्वाहिशकाश एक ख़्वाहिश पूरी हो इबादत के बगैर,तुम आ कर गले लगा लो मुझे,मेरी इज़ाज़त के बगैर….!!