वो बहुत देर तक

वो बहुत देर तक सोचता रहा…उसे शायद… सच बोलना था… !!!

वो है जान

वो है जान अब हर एक महफ़िल की हम भी अब घर से कम निकलते हैं..

जिसको चाहा हमने

जिसको चाहा हमने वो माना ख़ास था हमने इबादत क्या करी वो तो खुदा बन बैठा|

घर न जाऊं किसी के

घर न जाऊं किसी के तो रूठ जातें हैं बड़े बुजुर्ग गावों में….. गांव की मिटटी में अब भी वो तहज़ीब बाकी है.

डराकर दुनिया को

डराकर दुनिया को वो जीता है, जिसकी हड्डियों में पानी होता है !!

एक आईना और एक

एक आईना और एक मैं, इस दुनिया में तेरे दिवाने दो !!

पुराने लोग नया हौसला

पुराने लोग नया हौसला तो क्या देंगे मगर बुज़र्गों से मिलते रहो दुआ देंगे..

टूटे हुए घर

टूटे हुए घर भी ज़रा देख ले चल के… तन्हाई में नक़्शे न बना ताज महल के…

शायरी मांगती है

हमसे पूंछो शायरी मांगती है कितना लहू, लोग समझते हैं कि धंधा बड़े आराम का है।

ये हवा इश्क की

ये हवा इश्क की लगी जबसे…. प्यार करना मुझे भी आया है…

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