अपनी तकदीर में तो कुछ ऐसे ही सिलसिले लिखे हैं; किसी ने वक़्त गुजारने के लिए अपना बनाया; तो किसी ने अपना बनाकर ‘वक़्त’ गुजार लिया!
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जितना देखो उसे
जितना देखो उसे थकती नहीं आँखें वर्ना ख़त्म हो जाता है हर हुस्न कहानी की तरह…
यूँ तो मशहूर हैं
यूँ तो मशहूर हैं अधूरी मोहब्बत के, किस्से बहुत से, मुझे अपनी मोहब्बत पूरी करके, नई कहानी लिखनी हैं|
मेरी मसरूफियत के हर लम्हे
मेरी मसरूफियत के हर लम्हे में शामिल है उसकी यादेँ…सोचो मेरी फुरसतों का आलम क्या होगा..
मेरी दहलीज़ पर
मेरी दहलीज़ पर आ कर रुकी है..हवा_ऐ_मोहब्बत, मेहमान नवाज़ी का शौक भी है उजड़ जाने खौफ भी…
रहे दो दो फ़रिश्ते साथ
रहे दो दो फ़रिश्ते साथ अब इंसाफ़ क्या होगा किसी ने कुछ लिखा होगा किसी ने कुछ लिखा होगा
कोशिश करता हूँ
कोशिश करता हूँ कि अंधेरे खत्म हो लेकिन, कहीं जुगनू नही मिलता, कहीं चाँद अधूरा है।
इस दुनिया में
इस दुनिया में कुछ अच्छा रहने दो, बच्चों को बस बच्चे रहने दो|
आज लफ्जों को
आज लफ्जों को मय पीने बुलाया है, बात बन गयी तो जरूर गजल होगी ।
बहुत से कर्ज हैं
बहुत से कर्ज हैं चुकाने ऐ उम्र जरा ठहर जा। बात मान ले मेरी अब तो तू घर जा।