कभी साथ बैठो

कभी साथ बैठो तो कहूँ की क्या दर्द है मेरा…… तुम दूर से पूछोगे तो खैरियत ही कहेगे ……

कभी कभी मीलों दूर

कभी कभी मीलों दूर बैठा इंसान आपको जीने का सहारा दे सकता है और वो नहीं जो आपके करीब है।

अपना समझते हो

अपना समझते हो तो बुरा क्यों नहीं कहते हर वक्त की तारीफ बनावट सी लगे है

मीलों दूर चलाती रही

मीलों दूर चलाती रही ये जिन्दगी हकदार मैं सिर्फ दो गज जमीन की थी

वापसी का तो

वापसी का तो सवाल ही नही….. आँसुओ की तरह निकला हूँ मै…..

अगर समझ पाते तुम

अगर समझ पाते तुम मेरी चाहत की इन्तेहा तो, हम तुमसे नही, तुम हमसे मुहब्बत करते… !!

इश्क़ के आगोश में

इश्क़ के आगोश में आने वालों सुनो, नींद नहीं आती बिना महबूब की बाहों के..

तू चाँद का टुकड़ा नहीं

तू चाँद का टुकड़ा नहीं, चाँद तेरा टुकड़ा है । टूटते तारे नहीं, फ़िदा होते सितारे देख तेरा मुखड़ा है । ख़ूबसूरती देख तेरी अप्सरा का दिल जलन से उखड़ा है दुनिया में तेरे वजूद से, स्वर्ग भी लगता उजड़ा है ।

मुझे मालूम है

मुझे मालूम है उड़ती पतंगों की रवायत.. गले मिलकर गला काटूँ मैं वो मांझा नहीं..

कैसे जिंदा रहेगी

कैसे जिंदा रहेगी तहज़ीब सोचिये ! , पाठशाला से ज्यादा तो मधुशाला हैं इस शहर मे….

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