एक आकाश था एक नदी थी मिलना मुश्किल था हालाँकि पूरा का पूरा आकाश नदी में था…
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बिखरने की आदत है
मोतियों को बिखरने की आदत है, लेकिन धागे की ज़िद है उन्हें पिरोए रखने की।
कभी जो मिलें फुरसत
कभी जो मिलें फुरसत तो बताना जरूर… वो कौन सी मौहब्बत थी जो मैं ना दे सका….
महफूज़ है सीने में. .
महफूज़ है सीने में. . . . और पुख्ता बहुत है, फिर क्यूँ ज़रा सी बात पे दिल दुखता बहुत है…!!
मैं चुप रहा
मैं चुप रहा और गलतफहमियां बढती गयी, उसने वो भी सुना जो मैंने कभी कहा ही नहीं…
यादों को याद बना कर
यादों को याद बना कर रख लिया जज्बातों को तेज़ाब बना कर रख लिया
अपनी हदों में
अपनी हदों में रहिए कि रह जाए आबरू, ऊपर जो देखना है तो पगड़ी सँभालिये
खत क्या लिखा….
खत क्या लिखा….. मानवता के पते पर डाकिया ही गुजर गया पता ढूढते ढूढते…..
समझ ही नहीं पाता
कुछ रिश्तों के खत्म होने की वजह सिर्फ यह होती है कि.. एक कुछ बोल नहीं पाता और दुसरा कुछ समझ ही नहीं पाता।
अजीब सी बस्ती में
अजीब सी बस्ती में ठिकाना है मेरा। जहाँ लोग मिलते कम, झांकते ज़्यादा है।