लबों से गाल फिर सफ़र तेरी नज़र तक का .. तौबा,बहुत कम फ़ाँसलें पर इतने मयख़ाने नहीं होते …
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लिखते जा रहे हो
लिखते जा रहे हो साहब मोहब्बत हो गई..या खो गई है|
आजकल रिश्ते नाते
आजकल रिश्ते नाते, रोटी से हो गये, थोड़ी सी आँच बढ़ी, और जल गये
चीनी का दाना
तेरा ख़्याल चीनी का दाना हो जैसे.. मेरी उम्मीदें चीटियों की कतारों जैसी…
एक लाइन में
एक लाइन में क्या तेरी तारीफ़ लिखूँ……… पानी भी जो देखे तुझे तो प्यासा हो जाये…..
जंजीरे बदली जा रही थी..
फ़क़त सिर्फ जंजीरे बदली जा रही थी… और मैं समझ बैठा के रिहाई हो गई है…..
सुना था लोगों से
सुना था लोगों से वक्त बदलता है और अब . वक्त ने बताया के लोग भी बदलते है …….
कुछ बेरुखे रिश्तों ने
कुछ बेरुखे रिश्तों ने तोङा है हमें..!फिर पूछते हो तुम्हें हुआ क्या है…
ना रख किसी से
ना रख किसी से मोहब्बत की उम्मीद ख़ुदा की कसम लोग खूबसूरत बहुत है, पर वफ़ादार नही |
कौन देगा चाय के पैसे
कौन देगा चाय के पैसे? मुसीबत थी यही, इसलिए सब धीरे-धीरे चुस्कियां लेते रहे।