तुम रूक के नहीं

तुम रूक के नहीं मिलते हम झुक के नहीं मिलते मालूम ये होता है कुछ तुम भी हो कुछ हम भी|

मिट्टी का बना हूँ

मिट्टी का बना हूँ महक उठूंगा… बस तू एक बार बेइँतहा ‘बरस’ के तो देख……

कसक पुराने ज़माने की

कसक पुराने ज़माने की साथ लाया है, तिरा ख़याल कि बरसों के बाद आया है !!

मैं अपने शहर के

मैं अपने शहर के लोगों से ख़ूब वाकिफ़ हूँ हरेक हाथ का पत्थर मेरी निगाह में है|

सौदेबाजी का हुनर

सौदेबाजी का हुनर कोई उनसे सीखे, गालों का तिल दिखाकर सीने का दिल ले गये !

तुम निकले ही थे

तुम निकले ही थे बन-सँवर कर मैं मरता नहीं तो क्या करता…

बस आखरी बार

बस आखरी बार इस तरह मिल जाना, मुझ को रख लेना या मुझ में रह जाना !!

आईना हूं तेरा

आईना हूं तेरा, क्यूं इतना कतरा रहे हो.. सच ही कहूंगा, क्यूं इतना घबरा रहे हो..

जिम्मेदारिया जब कंधो पर

जिम्मेदारिया जब कंधो पर पडती है, तो अक्सर बचपन याद आता है..

ये खामोश मिजाजी

ये खामोश मिजाजी तुम्हे जीने नहीं देगी, इस दौर में जीना है तो कोहराम मचा दो।

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