बेवजह रोने की आदत

सुना था उसे बेवजह रोने की आदत थी, मैं वजह पूछता रहा…वो रोती चली गयी…

आते हैं मैख़ाने में

आते हैं मैख़ाने में तो कलम टूट कर लिखती है, मुझ से बडी काफिर तो मेरी कलम हो रक्खी है…

वो जो समझते थे

वो जो समझते थे हम उनके रहम-ओ-करम पर हैं, कल बात चली तो उनको करमों पर हमें रहम आ गया…

जाने कितनी रातों की

जाने कितनी रातों की नीदें ले गया वो… जो पल भर मौहब्बत जताने आया था|

मेरे बस मे नहीं

मेरे बस मे नहीं अब हाल-ए-दिल बयां करना, बस ये समझ लो, लफ़्ज़ कम मोहब्बत ज्यादा हैं|

कभी हमसे भी

कभी हमसे भी, पूछ लिया करो हाल-ए -दिल.. कभी हम भी तो कह सकें, दुआ है आपकी |

किसी रोज फिर से

किसी रोज फिर से रोशन होगी जिंन्दगी मेरी क्योकि, इंन्तजार सुबह का नही किसी के लोट आने का है|

बहुत पुख़्ता मिज़ाज है

बहुत पुख़्ता मिज़ाज है वो शख्श। याद रखता है,कि याद नहीं करना…

यूँ असर डाला है

यूँ असर डाला है मतलब-परस्ती ने दुनियाँ पर कि… हाल भी पूछो तो लोग समझते हैं, कोई काम होगा

यूँ असर डाला है

यूँ असर डाला है मतलब-परस्ती ने दुनियाँ पर कि… हाल भी पूछो तो लोग समझते हैं, कोई काम होगा.!!!

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