ज़िंदगी कम लगे

ज़िंदगी कम लगे ऐसी मोहब्बत चाहिए, मुझे अपने वजूद की पूरी कीमत चाहिए…!

और भी शेर है

और भी शेर है लिखने को तिरंगा तो कम से कम साफ़ रहने दो भाई

ये बात मुझे आज तक

ये बात मुझे आज तक समझ नहीं आई.. तुमहे मैं “सुकुन” बुलाऊ या “बेचैनी”..

कब आ रहे हो

कब आ रहे हो मुलाकात के लिये, हमने चाँद रोका है, एक रात के लिये…!!

कभी हूँ हर खुशी की

कभी हूँ हर खुशी की राह में दीवार काँटों की, कभी हर दर्द के मारे की आँखों की नमी हूँ मैं….

ज़ख्म ख़ुद सारी कहानी

ज़ख्म ख़ुद सारी कहानी कह रहे हैं ज़ुल्म की, क्या करें फिर भी अदालत को गवाही चाहिए…

जिंदगी से यही गिला है

जिंदगी से यही गिला है मुझे , वो बहुत देर से मिला है मुझे ..

कितने चालाक है

कितने चालाक है कुछ मेरे अपने भी … उन्होंने तोहफे में घड़ी तो दी … मगर कभी वक़्त नही दिया…!!!

उम्मीद वफ़ा की

उम्मीद वफ़ा की,और तमन्ना जिस्म की इन पढ़े-लिखों की मोहब्बत से तो, मैं गवांर ही अच्छा हूं|

दो गज़ ज़मीन नसीब हो गयी

दो गज़ ज़मीन नसीब हो गयी यही बहुत है, सिकंदरो को अब जहान सारा मुबारक हो|

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