गिरा ना पाओगे लाख चाहकर भी मेरी शख्सियत को, मेरा कारवां मेरे चाहने वालों से चलता हैं न की नफरत करने वालों से…!!!
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इश्क कौन सा जरूरी है..
तेरी खामोशी अगर तेरी मजबुरी है… तो रहने दे इश्क कौन सा जरूरी है..
तेरी मौहब्बत के कर्ज का
तेरी मौहब्बत के कर्ज का,अब कैसे हिसाब हो…. तू गले लगाकर कहती है,आप बड़े खराब हो…
कुछ तो है
कुछ तो है जो बदल गया जिन्दगी में मेरी… अब आइने में चेहरा मेरा हँसता हुआ नज़र नहीं आता
बड़ी बेअदब है
बड़ी बेअदब है जुल्फें आपकी,हर वो हिस्सा चूमती है जो ख्वाहिश है मेरी !!
लतीफे छेड़ कर मैं
लतीफे छेड़ कर मैं अपनी माँ को जब हंसाता हूँ मुझे महसूस होता है कि जन्नत मुस्कुराती है
जहा शेरो पर चुटकलों सी
जहा शेरो पर चुटकलों सी दाद मिलती हो… वहा फिर कोई भी आये मगर एक शायर नही आता…
मैं ढूढ़ रहा था
मैं ढूढ़ रहा था शराब के अंदर, नशा निकला नकाब के अंदर .!!
तुमको देखा तो मौहब्बत भी
तुमको देखा तो मौहब्बत भी समझ आई वरना इस शब्द की तारीफ ही सुना करते थे…!!
सब्र तहजीब है
सब्र तहजीब है मोहब्बत की साहब, और तुम समझते हो की बेजुबान है हम!!