तुम कभी मेरे साथ

तुम कभी मेरे साथ…आसमां तक चलो मुझे इस चाँद का… गुरूर तोड़ना है….

आँखे भिगोने लगी है

आँखे भिगोने लगी है अब यादे भी तेरी , काश तुम अजनबी ही होते तो अच्छा होता|

मेरे शहर की गलियां

मेरे शहर की गलियां अब मुझसे पता मेरा पूछ्ती हैं दरअसल तेरे बगैर मुझे देखने की आदत नहीं रही इनको|

वो शाम-ऐ-इश्क़

वो शाम-ऐ-इश्क़ फिर दोबारा नहीं आई., जब थे उस दिन रूठे तब तुम हमे मानाने नहीं आई|

मिल ही जाएगा

मिल ही जाएगा हमें भी टूट कर चाहने वाला…!! अब शहर का शहर तो बेवफ़ा हो नहीं सकता…!!

एक राज़ की बात

एक राज़ की बात बताऊँ किसी से बताना नहीं…!! इस दुनिया में अपने सिवा कुछ भी अपना नहीं…!!

तेरे इश्क़ का सुरूर

तेरे इश्क़ का सुरूर था जो खुद को बरबाद कर दिया…!! वरना एक वक्त था जब दुनियां मेरी भी रंगीन थी…!!

अदावत दिल में

अदावत दिल में रखते हैं मगर यारी दिखतें हैं…!! ना जाने लोग भी क्या क्या अदाकारी दिखाते हैं…!!

हमारी ख़ताओं का हिसाब

हमारी ख़ताओं का हिसाब रखते जाना, उनकी अदाओं का हिसाब मुमकिन नहीं..

मेरी चाहत की इन्तहा

काश के कभी तुम समझ जाओ मेरी चाहत की इन्तहा को, हैरान रह जाओगे तुम अपनी खुश-नसबी पर..

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