कुछ इस तरह

कुछ इस तरह से हमने पूरी क़िताब पढ़ ली…. ख़ामोश बैठी रही ज़िंदगी…चाहतों ने पन्ने पलट दिए….

मुद्दतों बाद ये

मुद्दतों बाद ये दस्तक कैसी,, ज़रूर कोई मतलबी होगा!!

Dekh Kar Ye

Maila libash dekh kar ye faisla na Kar…. Mai kis darkht ka fool hu ye fal btayega……..

Khushi Se Phirta

Kon yonhi khushi se phirta hai ghar hi jata jo mera ghar hota

बातों को स्वीकार

हे भगवान, मुझे उन बातों को स्वीकार करने का धैर्य प्रदान करो जिन्हें मैं बदल नहीं सकता हूं; जिन चीजों को मैं बदल सकता हूं उनको बदलने का साहस दो तथा इन दोनों में अंतर करने के लिए बुद्धि प्रदान करो।

वो शख्स भी

वो शख्स भी क्या अदब से डूबा, दरिया सामने था और तलब से डूबा….

Chale Gaye

Behtar Dinon Ki Aas Lagate Hue Habib Hum Behtareen Din Bhi Ganwaty Chale Gaye…

Aisa Bhi Nahi

Aik Muddat Se Teri Yaad Bhi Na Aai Humain Aur Hum Bhool Gaye Hon Tujhe Aisa Bhi Nahi…

यू गलत भी

यू गलत भी नहीं होती ,चेहरे की तासीर साहिब लोग बैसे भी नहीं होते,जैसे नजर आते है

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