लफ्ज़ जब सारे

मुक्कमल सी लगती है . मेरी शायरी, लफ्ज़ जब सारे मेरे होते हैं, . और ज़िक्र तेरा…!!

Gair Samajhte Ho

Tum aaj mujhe gair samajhte ho to koi baat nahi jab matlabi logo se miloge tab yaad mujhe hi karoge

उम्र के साथ

उम्र के साथ सबक नए मिलते गए. कुछ रूठ गये हमसे, कुछ को हम खोते गए..!!

सिर्फ उसी का था

ठुकरा के उसने मुझे कहा कि मुस्कुराओ, मैं हंस दिया सवाल उसकी ख़ुशी का था, मैंने खोया वो जो मेरा था ही नहीं; उसने खोया वो जो सिर्फ उसी का था।

आह निकल जाती है

देखकर दर्द किसी का, जो आह निकल जाती है..!! बस इतनी सी बात, आदमी को इन्सान बनाती है….!!!

कलम में जोर

कलम में जोर जितना है जुदाई की बदौलत है, मिलने के बाद लिखने वाले लिखना छोड़ देते है……..

हम बिछड़े थे

कितने दर्दनाक थे वो मंज़र, जब हम बिछड़े थे, उसने कहा था जीना भी नहीं और रोना भी नहीं..

वो आये या

वो आये या ना आये, उसकी मर्ज़ी है दोस्त, उन राहों को मगर आज़ सज़ा कर देखते हैं.

तेरे बिन मर जाऊँगा

राज ज़ाहिर ना होने दो तो एक बात कहूँ,, मैं धीरे- धीरे तेरे बिन मर जाऊँगा।

मिल जाऊँगा

भीङ’ मेँ भी मिल जाऊँगा ‘आसानी’ से तुम्हे, ‘खोया-खोया’ सा रहना ‘निशानी’ है मेरी

Exit mobile version