रोज के मिलने में

हर रोज के मिलने में तकल्लुफ़ कैसा, चाँद सौ बार भी निकले तो नया लगता है….!!!

ज़रा सी चोट

ज़रा सी चोट को महसूस करके टूट जाते हैं ! सलामत आईने रहते हैं, चेहरे टूट जाते हैं !! . पनपते हैं यहाँ रिश्ते हिजाबों एहतियातों में, बहुत बेबाक होते हैं वो रिश्ते टूट जाते हैं !! . नसीहत अब बुजुर्गों को यही देना मुनासिब है, जियादा हों जो उम्मीदें तो बच्चे टूट जाते हैं… Continue reading ज़रा सी चोट

कच्चे रिश्ते जरा भी

मुझे तेरे ये कच्चे रिश्ते जरा भी पसंद नहीं आते या तो लोहे की तरह जोड़ दे या फिर धागे की तरह तोड़ दे .!

मुवाबजे की अर्ज़ी

हमने मुवाबजे की अर्ज़ी डाली है साहब.. उनकी याद की बारिश ने खूब तबाह किया भीतर तक ।।

धड़कन नहीं रूकती

हर किसी के नाम पर धड़कन नहीं रूकती है धड़कन के भी अपने उसूल होते है………!!

मुद्तों के बाद

मुद्तों के बाद उसको किसी के साथ खुश देखा तो एहसास हुआ … काश की उसको बहुत पहले हे छोड़ दिया होता ..

पाँव सूख हुए

पाँव सूख हुए पत्तों पर अदब से रखना, माँगी थी धूप में तुमने पनाह इनसे कभी…

ईमान बिकता हे

ईमान बिकता हे ओरते बिकती हे बड़ी अजीब है दुनिया की ये दुकाँ यारो

दिल का झुकना

दिल का झुकना बहुत ज़रूरी है सर झुकाने से रब नहीं मिलता………..

उर्दू न समझी

उन्होंने उर्दू न समझी न पढ़ी उनका उर्दू पे ये एहसान रहा ऐसे हालात में कह पाना ग़ज़ल यक़ीनन सख़्त इम्तेहान रहा

Exit mobile version