ज़र ही हादसे का

ज़र ही हादसे का अजीबो गरीब था, वो आग से जल गया जो नदी के करीब था..

इक लफ्ज़ थी

इक लफ्ज़ थी मैं आधा अधूरा सा… तुझ से जुडा और कहानी बन गई…

ना जाने कितनी ही

ना जाने कितनी ही अनकही बातें साथ ले जाऊंगा, लोग झूठ कहते रहेंगे कि खाली हाथ गया है !!

तेरी यादों का सिलसिला

तेरी यादों का सिलसिला भी अनोखा है….. कभी एक पल…. कभी पल पल …..कभी हर पल …..

मेरा नसीब है

तेरा हिज्र (जुदाई ) मेरा नसीब है, तेरा गम ही मेरी हयात (किस्मत) है, मुझे तेरी दूरी का गम हो क्यों, तू कही भी हो मेरे साथ है…

निशान का क्या करोगी

अंगूठी तो मुझे लौटा रही हो पर ऊंगली के निशान का क्या करोगी….

खामोश हूँ सिर्फ़

खामोश हूँ सिर्फ़ तुम्हारी खुशी के लिये ये न सोंचना कि मेरा दिल दुखता नहीं…

मेरे ज़ख्मो का

उसने मेरे ज़ख्मो का यूँ किया इलाज, मरहम भी लगाया तो काँटों की नोक से….

यू रोने न देती…

दोस्तों आज तो खुद ही रोया और रो के चुप भी हो गया, सोचा अगर वो अपना मानती तो यू रोने न देती…

किसी के पास

जाने क्यों अधूरी सी रह गई है जिंदगी लगता है जैसे खुद को किसी के पास भूल आए..

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