अजीब सबूत माँगा

अजीब सबूत माँगा उसने मेरी मोहब्बत का कि मुझे भूल जाओ तो मानूँ मोहब्बत है !

अनसुना ही रह गया

अधूरा ..अनसुना ही रह गया प्यार का किस्सा, कभी तुम सुन न सके ..कभी मैं कह नही पाया !!

इजहारे मोहब्बत का

इजहारे मोहब्बत का जुनूँ गौर से देखो, पहली ही मुलाकात में परवाना मर गया …

मोहब्बत मैं ही

हम तो आगाज़े मोहब्बत मैं ही लूट गये, और लोग कहते है की अंजाम बुरा होता है !!

सच की हालत

सच की हालत किसी तवायफ सी है, तलबगार बहुत हैं तरफदार कोई नही.

ख़ुबसूरत था इस

ख़ुबसूरत था इस क़दर के महसूस ना हुआ.. कैसे,कहाँ और कब मेरा बचपन चला गया….

कब तक लफ़्ज़ों की

कब तक लफ़्ज़ों की कारीगरी करता रहूँ… … समझ जाओ ना that I love you

मेरे साथ बैठ के

मेरे साथ बैठ के वक़्त भी रोया एक दिन। बोला बन्दा तू ठीक है …मैं ही खराब चल रहा हूँ।

तेरे मिलने से कुछ

तेरे मिलने से कुछ ऐसी बात हो गई, कुछ भी नहीं था पास मेरे, जिंदगी से मुलाकात हो गई.

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