अजीब पैमाना है

अजीब पैमाना है यहाँ शायरी की परख का….. जिसका जितना दर्द बुरा, शायरी उतनी ही अच्छी….

खामोश रहती है

खामोश रहती है वो तितली जिसके रंग हज़ार हैं और शोर करता रहा वो कौवा, ना जाने किस गुमान पर !

गुजर गया आज का दिन

गुजर गया आज का दिन भी यूँ ही बेवजह ना मुझे फुर्सत मिली ना आपको ख्याल आया|

यूँ नजरें ना झुकाओ

यूँ नजरें ना झुकाओ अपनी बेवफाई पर , इल्म था हमें इस दर्द को मेरा ही होना ही था ! चाहत इस दिल की मुस्कुराते रहो तुम सदा , हमें तो तेरी उदासी अपने लबों पे सजाना ही था ! मिले ना बेवफाई तुझको तेरे प्यार से जानम , हमें तो तेरी बेवफाई को गजलों… Continue reading यूँ नजरें ना झुकाओ

झूठ को झूठ कहा

झूठ को झूठ कहा, सच को सच ही बोला है… उसे समझाइये, वो शक़्स बहुत भोला है !!!

तेरा मेरा रिश्ता भी

तेरा मेरा रिश्ता भी कागज़ और कलम सा है जब भी मिलते है गैरों की बातें ही करते हैं|

रूठना मत कभी

रूठना मत कभी हमसे, मना नही पायेंगे, तेरी वो कीमत है मेरी जिंदगी में, कि शायद हम अदा नहीं कर पायेंगे….

बड़ा अजीब दस्तुर है

बड़ा अजीब दस्तुर है यारों, दर्द आँखो से निकले तो कायर हैं, और बातो से निकले तो शायर हैं..

तूझे पाने की ख्वाहिश

कसम से तूझे पाने की ख्वाहिश तो बहूत थी मगर मुझे तुझसे दूर करने की दुआ करनेवाले जादा निकले |

रिश्तों को संभालते-संभालते

रिश्तों को संभालते-संभालते थकान सी होने लगी है… रोज़ कोई ना कोई नाराज हो जाता है…!!

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