नाज है मुझे मेरे प्यार पर , ना वो बेवफा ना मै बेवफा ….. बस मॉ – बाप के फर्ज ने हमको जुदा किया …….!!
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कायम है इश्क
बरसो से कायम है इश्क अपने उसुलो पे.. ये कल भी तकलीफ देता था ये आज भी तकलीफ देता है
वो मेरे पास
वो मेरे पास नहीं मेरे दिल के पास तो है चिराग एक है और दो घरो में जलता हैं
उठ न जाए
उठ न जाए ऐतबार ज़माने का….!! ऐ मुहब्बत, किसी को तो रास आ तू….!!!
बहुत रोकना चाहा
बहुत रोकना चाहा पर रोक ना सका खुद को, ये कमबक्त मोहब्बत भी गुनाहों जैसी है……….
लहरो को छुने तक
मेरे बस मे हो तो लहरो को इतना हक़भी ना दू … लिखु नाम तेरा किनारे पे और लहरो को छुने तक ना दू !
छुपा लो इस
छुपा लो इस तरह से मुझे अपनी बाहो मेँ कि हवा को भी गुजरने की इजाजत लेनी पडेँ
pyaas bhujhane ke liye
Tere hontho ko chuma to ye ehsaas hua mujhe…Ki ek paani hi nahi hai pyaas bhujhane ke liye…!!
मोहब्बत कम नहीं होती..!
नादान है बहुत जरा तुम ही समझाओ यार उसे.. कि यूँ ” खत” को फाड़ने से मोहब्बत कम नहीं होती..!”
Ab wo aansu
Kaha tha na ke zabt karna.. Ab wo aansu samandar ho gya na…!”