जिंदगी का सफर कुछ यू तय हुआ

जिंदगी का सफर कुछ यू तय हुआ… की समझ नहीं आता की जिंदगी थी या मुट्ठी में भरी रेत…

आज हम अकेले है तेरे बगैर

आज हम अकेले है तेरे बगैर दिल बे – करार है आज तेरे बगैर वक्त नहीं रुकता कभी किसी के लिए पर धड़कने रुक जायेगी आज तेरे बगैर …

ना जाने कौन कौन से

ना जाने कौन कौन से विटामिन और प्रोटीन हैं तुझ में….? जब तक तेरा दीदार न कर लूँ तब तक बैचेनी रहती है

अंदर ही अंदर टूट जाते है घर

अंदर ही अंदर टूट जाते है घर, मकान खड़े के खड़े रह जाते है बेशर्मों की तरह…!!!

अपनो की कोई बात बुरी लगे

अपनो की कोई बात बुरी लगे तो आप खामोश हो जाईए, अगर वह अपने है तो समझ जाएंगे, अगर ना समझे तो आप समझ लेना, की वह अपने थे ही नही…

नादानियाँ झलकती हैं

नादानियाँ झलकती हैं अभी भी मेरी आदतों से, मैं खुद हैरान हूँ के मुझे इश्क़ हुआ कैसे…!!!

जलवे तो बेपनाह थे

जलवे तो बेपनाह थे इस कायनात में… ये बात और है कि नज़र तुम पर ही ठहर गई…!

चल उस मोड़ से शुरू करें

चल उस मोड़ से शुरू करें फिर से जिंदगी… हर लम्हा जहाँ हसीन था और हम-तुम थे अजनबी…!

इतनी चाहत तो लाखो रुपये

इतनी चाहत तो लाखो रुपये पाने की भी नही होती..!! जितनी बचपन की तस्वीर देखकर बचपन में जाने की होती हैं..!!

कैसे ना मर मिटू उस पे यारो

कैसे ना मर मिटू उस पे यारो … रूठ कर भी कहता है संभल कर जाना…!

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