कभी कभी धागे

कभी कभी धागे बड़े कमज़ोर चुन लेते है हम ! और फिर पूरी उम्र गाँठ बाँधने में ही निकल जाती है ….!!!

ज़िंदगी के दो पड़ाव

ज़िंदगी के दो पड़ाव अभी उम्र नहीं है अब उम्र नहीं है ।

जब हौसला बना

जब हौसला बना लिया ऊँची उड़ान का… फिर देखना फिज़ूल है कद आसमान का…

चंद ख़ामोश ख्याल

चंद ख़ामोश ख्याल और तेरी बातें,ख़ुद से गुफ़्तगू में गुज़र जाती है रातें ….

आग लगे तो

आग लगे तो शायद अंधेरा पिघले तेरी चिता की कोख से जब सूरज निकले।

उस टूटे झोपड़े में

उस टूटे झोपड़े में बरसा है झुम के भेजा ये कैसा मेरे खुदा सिहाब जोड़ के

लफ़्ज़ों से कहाँ लिखी जाती है…

लफ़्ज़ों से कहाँ लिखी जाती है…ये बेचैनियां मोहब्बत की… मैंने तो हर बार तुम्हे…दिल की गहराईयो से पुकारा है…

आज बहुत मेहरबान हो

आज बहुत मेहरबान हो सनम क्या चाहते हो, हमें पाना चाहते हो या किसी को जलाना चाहते हो…

नहीं मांगता ऐ खुदा

नहीं मांगता ऐ खुदा, कि जिंदगी सौ साल की दे, दे भले चंद लम्हों की, लेकिन कमाल की दे।

आज़ाद कर दिया

आज़ाद कर दिया हमने भी उस पंछी को, जो हमारी दिल की कैद में रहने को तोहिं समझता था।

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