अमीर-ए-शहर की हमदर्दियों से बच के रहो, ये सर से बोझ नहीं, सर उतार लेता है !
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मेरा पीछा नहीं छोड़ा
ज़िंदगी ने मेरा पीछा नहीं छोड़ा अब तक.. उम्र भर सर से न उतरी ये बला कैसी थी..?
प्यार से तो ज़िन्दगी
प्यार से तो ज़िन्दगी बरबाद होती होगी….. मगर उसके दर्द से दील आबाद रहता है …..
उम्र भर ख़्वाबों की
उम्र भर ख़्वाबों की मंज़िल का सफ़र जारी रहा, ज़िंदगी भर तजुरबों के ज़ख़्म काम आते रहे…
इश्क़ की चोट
इश्क़ की चोट का कुछ दिल पे असर हो तो सही, दर्द कम हो या ज़ियादा हो मगर हो तो सही…
ना वादा ना दिलासा
ना वादा ना दिलासा ना तस्सली ना दुआ,….!! तुमने इस बार जाते हुएे कयामत कर दी….!!
तू भले ही रत्ती भर
तू भले ही रत्ती भर ना सुनती है मै तेरा नाम बुदबुदाता रहता हूँ
मेरा सब से
मेरा सब से बड़ा डर यह है, कि कहीं आप मुझे भूल तो नहीं जाओगे !!
मुझे कहाँ से
मुझे कहाँ से आएगा लोगो का दिल जीतना …!! मै तो अपना भी हार बैठी हूँ..!!
किसी ने क्या खूब कहा
किसी ने क्या खूब कहा है सिर्फ गुलाब देने से अगर मोहब्बत हो जाती, तो माली सारे ‘शहर’ का महबूब बन जाता..