कहाँ मांग ली

कहाँ मांग ली थी कायनात जो इतनी मुश्किल हुई ए-खुदा.. सिसकते हुए शब्दों में बस एक शख्स ही तो मांगा था..!

ज़िंदगी में बस

ज़िंदगी में बस दो गलतियां कर दी.. खुशियाँ नशे के नाम, और उदासी होश के नाम कर दी।

ठंड

कोई नहीं मरता ठंड के कारण मरते हैं लोग सरकारी फंड के कारण नेताजी खा जाते हैं कंबल वाला फंड बदनाम हो जाती है दिसंबर वाळी ठंड

Jhuk Kar Tere

jhuk Kar Tere Aagy, Ye Iqrar Karta Hoon… Main Tum Se Meri Jaan, Bohat Pyar Karta Hoon..

Muhabbat ho gae

$unooo… Jis ka dar tha….. Wo hi huwa naaa… Muhabbat ho gae tum sy…!!

kisi din hath

kisi din hath dho baithoge humse, bahut shauk hai na tumhe laparwahi ka

Tum Khud Ko

Tum Khud Ko Samajhte Ho Na Jaane Kya Kya. .Hum Bhi Kuch Nahin Samajhte Tumhein Zindagi Ke Siwa…

सोचते हे सीख

सोचते हे सीख ले हम भी बेरुखी करना, प्यार निभाते-२ अपनी ही कदर खो दी हमने।

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