गुमान है अपने कद पर

ऐ समंदर! तुझे गुमान है अपने कद पर… मैं नन्हा सा परिंदा तेरे ऊपर से गुज़र जाता हूँ!

कौन शर्मा रहा है

कौन शर्मा रहा है यूं फुर्सत में हमें याद कर कर के, हिचकियाँ आना चाह रही हैं पर हिचकिचा रही हैं।

मत हो उदास

मत हो उदास इतना किसी के लिए….. . ए दिल किसी के लिए जान भी दे देगा तो लोग कहेंगे इसकी उम्र ही इतनी थी |

किताबों की तरह हैं

किताबों की तरह हैं हम भी…. अल्फ़ाज़ से भरपूर, मगर ख़ामोश…

आज भी मुझसे कहते है

कितने ऐबों से छुपा रखा है मेरे “रब” ने मुझे. लोग आज भी मुझसे कहते है, “हमारे लिए दुआ करना|

हम वो ही हैं

हम वो ही हैं, बस जरा ठिकाना बदल गया हैं अब…!!! तेरे दिल से निकल कर, अपनी औकात में रहते है…!!

देख के याद आया

कल तुझे देख के याद आया हम भी कभी तेरे हुआ करते थे|

उसूलों पर अगर आ जाये

उसूलों पर अगर आ जाये, तो टकराना जरुरी है! जिन्दा हो तो जिन्दा नज़र आना जरुरी है।

धूप बर्दाश्त करना सीख़ लो

अब ये धूप बर्दाश्त करना सीख़ लो .. अब वो जुल्फे गैर हवाओं में लहराने लगी है..

तुम रख ही ना सकीं

तुम रख ही ना सकीं मेरा तोफहा सम्भालकर मैंने दी थी तुम्हे,जिस्म से रूह निकालकर|

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